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क्र.सं | नाम | पदनाम | |
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1. | डॉ. एन. पी. साहू | कार्यवाहक निदेशक |
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2. | श्री संजय बोकोलिया | संयुक्त निदेशक (प्रशासन) एवं वरिष्ठ कुलसचिव |
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3. | डॉ. देबोजीत सरमा | विभागाध्यक्ष, जलकृषि विभाग |
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4. | डॉ. केदारनाथ मोहंता | विभागाध्यक्ष, मत्स्य पोषण, जैवरसायन एवं कायिकी विभाग |
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5. | डॉ. अर्पिता शर्मा | मात्स्यिकी अर्थशास्त्र, विस्तार एवं सांख्यिकी विभाग |
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6. | डॉ. मुकुन्दा गोस्वामी | विभागाध्यक्ष, मत्स्य आनुवंशिकी एवं प्रौद्योगिकी |
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7. | डॉ. मेघा बेडेकर | विभागाध्यक्ष, जलीय पर्यावरण एवं स्वास्थ्य प्रबंधन |
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8. | डॉ. बी. बी. नायक | विभागाध्यक्ष, मात्स्यिकी संसाधन एवं फसलोत्तर प्रबंधन |
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9. | डॉ. आशुतोष देव | प्रधान वैज्ञानिक/परीक्षा नियंत्रक |
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10. | श्री रजनीश कुमार सिंह | नियंत्रक, वित्त एवं लेखा |
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11. | डॉ. शिवाजी अरगडे | वरिष्ठ वैज्ञानिक/ प्रभारी, आई.सी. टी. सेल |
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12. | श्री सुभाष चंद | पुस्तकालयाध्यक्ष |
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13. | श्री जगदीशन, ए. के. | संयुक्त निदेशक (राजभाषा) |
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14. | श्री प्रताप कुमार दास | मुख्य तकनीकी अधिकारी |
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15. | श्रीमती रेखा नायर | मुख्य तकनीकी अधिकारी |
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भा.कृ.अनु.प - केन्द्रीय मात्स्यिकी शिक्षा संस्थान, मुंबई की राजभाषा कार्यान्वयन समिति की 110 वीं बैठक संस्थान के निदेशक एवं कुलपति डॉ. रविशंकर सी.एन. की अध्यक्षता में गुरुवार, दिनांक 06 फरवरी, 2025 को आयोजित की गई । बैठक में निम्नलिखित निर्णय लिए गए:
भा.कृ.अनु.प - केन्द्रीय मात्स्यिकी शिक्षा संस्थान, मुंबई की राजभाषा कार्यान्वयन समिति की 111 वीं तिमाही बैठक (अप्रैल-जून 2025 तिमाही) संस्थान के निदेशक एवं कुलपति डॉ. रविशंकर सी.एन. की अध्यक्षता में गुरुवार, दिनांक 25 अप्रैल, 2025 को आयोजित की गई । बैठक में निम्नलिखित निर्णय लिए गए :
भा.कृ.अनु.प.-केन्द्रीय मात्स्यिकी शिक्षा संस्थान में मंगलवार दिनांक 25 मार्च 2025 को मुख्यालय एवं उपकेन्द्रों के अधिकारियों एवं कर्मचारियों हेतु "मानक वर्तनी एवं पारिभाषिक शब्दावली" विषय पर एक ऑनलाइन कार्यशाला का आयोजन किया गया । इस कार्यशा ला में संस्थान व उपकेन्द्रों से 24 प्रतिभागियों ने भाग लिया जिसमें 16 अधिकारी एवं 8 कर्मचारी उपस्थित थे ।
कार्यशाला का प्रारंभ श्री जगदीशन ए.के., संयुक्त निदेशक (राजभाषा) के स्वागत भाषण से किया गया । इसके बाद श्री संजय बोकोलिया, संयुक्त निदेशक (प्रशा.) एवं वरिष्ठ कुलसचिव ने अपने उद्बोधन में सभी अधिकारियों / कर्मचारियों से यह कहा कि राजभाषा दिशा-निर्देशों के अनुसार हमारा संस्थान ''ख'' क्षेत्र के अंतर्गत आता है इसलिए हमें 90% कार्य हिन्दी में करना है और सभी अधिकारी/कर्मचारी मन लगाकर कार्य उसके अनुरूप करेंगे तो हिन्दी का प्रचार-प्रसार को बढ़ावा मिलेगा और हम इस क्षेत्र में सफलता हासिल कर सकेंगे । तत्पश्चात अतिथि वक्ता श्रीमती गार्गी गाडगील, सहायक निदेशक एवं कार्यालय अध्यक्ष, केन्द्रीय हिन्दी शिक्षण योजना ने सत्र प्रारंभ करते हुए अपने व्याख्यान में मानक वर्तनी, व्यंजन, स्वर, कारक चिन्हों, तत्सम शब्दों एवं विदेशी शब्दों का हिन्दी में प्रयोग आदि पर विस्तृत चर्चा की। उन्होंने हिंदी अंकों के उच्चारण एवं लिखावट में आने वाली आम गलतियों पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने आगे कहा कि शब्दों का प्रयोग करते समय उसकी वर्तनी पर ध्यान दें। साथ में यह भी ज़रूरी है कि सही शब्दों का चयन किया जाए ताकि अर्थ का अनर्थ न हो। उन्होंने सभी प्रतिभागियों से आग्रह किया कि अपने कार्यालयीन कार्यों में हिन्दी का अधिकाधिक प्रयोग करें ताकि राजभाषा विभाग द्वारा निर्धारित लक्ष्य की पूर्ति हो सके। इसी के साथ प्रतिभागियों से चर्चा करते हुए उनके समस्याओं का समाधान भी किया । उन्होंने यह भी कहा कि वे सदैव सहायता प्रदान करने हेतु तत्पर रहेंगी।
इस कार्यशाला से सभी प्रतिभागी लाभान्वित हुए हैं और वे अब अधिक से अधिक कार्य हिन्दी में कर सकेंगे । अंत में श्रीमती रेखा नायर, मुख्य तकनीकी अधिकारी के धन्यवाद प्रस्ताव के साथ कार्यशाला समाप्त हुई ।
कार्यशाला की झलकियाँ
भा.कृ.अनु.प.- केंद्रीय मात्स्यिकी शिक्षा संस्थान में 26 जून 2025 को मुख्यालय एवं क्षेत्रीय केंद्रों के अधिकारियों एवं कर्मचारियों के लिए “राजभाषा कार्यान्वयन : समस्याएँ एवं समाधान” विषय पर एक दिवसीय कार्यशाला हाइब्रिड माध्यम में आयोजित की गई। इसमें राजभाषा विभाग, भारत सरकार के पूर्व संयुक्त निदेशक डॉ. विश्वनाथ झा अतिथि वक्ता थे। संस्थान के निदेशक डॉ. एन.पी. साहू कार्यक्रम की अध्यक्षता की। इस अवसर पर संस्थान के संयुक्त निदेशक एवं वरिष्ठ कुलसचिव श्री संजय बोकोलिया, विभिन्न विभागाध्यक्ष, वरिष्ठ अधिकारीगण, वैज्ञानिक, प्रशासनिक एवं तकनीकी वर्ग के अधिकारी व कर्मचारी भी उपस्थित थे।
श्री संजय बोकोलिया ने अपने उद्बोधन में कहा कि हिंदी ही एक ऐसी भाषा है जो पूरे देश को जोड़ती है। यह बात तो सही है कि राजभाषा हिंदी में कार्य करना संवैधानिक दायित्व तो है ही, लेकिन हमें दिल से हिंदी को अपनाना चाहिए न कि संवैधानिक बाध्यता के कारण। राजभाषा हिंदी को प्रभावी रूप से कार्यान्वित करने हेतु हमें पूरे समर्पण भाव से काम करना होगा।
अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में संस्थान के निदेशक डॉ. एन.पी. साहू ने कहा कि अगर हम अपनी भाषा का सम्मान नहीं करेंगे तो हम अपनी संस्कृति से, अपनी जड़ों से बिछड़ जाएँगे। उन्होंने आगे कहा कि भाषा जोड़ने वाली होती है न कि तोड़ने वाली। जहाँ तक हिंदी का सवाल है, हिंदी का किसी भी भाषा के साथ विरोध नहीं है। हिंदी भारत की सभी भाषाओं को साथ लेकर चलती है और तो और विदेशी भाषाओं को भी। इसका प्रमाण है हिंदी में भरे पड़े अन्य भाषाओं के शब्द। भारत में हिंदी बोलने वाले 69% है और अग्रेज़ी बोलने वाले 10% से भी कम। हमें अपनी मानसिकता बदलने की आवश्यकता है। हिंदी बोलने या हिंदी में काम करते समय हमें हीन भावना से मुक्त होना चाहिए।
कार्यशाला के अतिथि वक्ता डॉ. विश्वनाथ झा ने सरल भाषा में बहुत ही रोचक ढंग से राजभाषा हिंदी से संबंधित विभिन्न संवैधानिक प्रावधानों, राजभाषा संबंधी लक्ष्यों और हिंदी में कार्य करने के लिए उपलब्ध विभिन्न सूचना प्रौद्योगिकी साधनों पर विस्तार से व्याख्यान दिया। उन्होंने कहा कि आजकल हिंदी में कार्य करना बहुत ही आसान है। इसके लिए विभिन्न साधन उपलब्ध हैं। हिंदी में कार्य करते समय समस्याएँ तो आएँगी, लेकिन जितनी समस्याएँ हैं, उन सबका समाधान भी मौजूद है। पूरी लगन और तन्मयता से कार्य करेंगे तो समस्याओं को दूर किया जा सकता है। कोई भी कार्य असंभव नहीं होता। हमें प्रयास करते रहना चाहिए। इस दौरान उन्होंने प्रतिभागियों के शंकाओं का समाधान भी किया।
कार्यक्रम का शुभारंभ भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के गीत से हुआ। तत्पश्चात श्री जगदीशन ए.के., संयुक्त निदेशक (राजभाषा) ने सभी का स्वागत किया और अंत में श्री प्रताप कुमार दास, मुख्य तकनीकी अधिकारी ने आभार प्रकट किया। श्रीमती रेखा नायर, मुख्य तकनीकी अधिकारी ने पूरे कार्यक्रम का संचालन किया।
भा.कृ.अनु.प.-केंद्रीय मात्स्यिकी शिक्षा संस्थान, मुंबई द्वारा अपने कोलकाता केंद्र में दिनांक 21-22 अप्रैल 2024 के दौरान “विकसित भारत की संकल्पना में राजभाषा प्रबंधन की भूमिका” विषय पर राष्ट्रीय राजभाषा संगोष्ठी आयोजित की गई। दिनांक 21.04.2024 इस दो दिवसीय राष्ट्रीय राजभाषा संगोष्ठी का उद्घाटन समारोह आयोजित किया गया, जिसमें भा.कृ.अनु.प.-केंद्रीय अंतर्स्थलीय मात्स्यिकी अनुसंधान संस्थान, बैरकपुर, कोलकाता के निदेशक डॉ. बी.के. दास मुख्य अतिथि थे। संस्थान के निदेशक एवं कुलपति डॉ. रविशंकर सी.एन. ने कार्यक्रम की अध्यक्षता की। इस कार्यक्रम में केंद्र के प्रमुख डॉ. तापस कुमार घोषाल और संस्थान के संयुक्त निदेशक (राजभाषा) जगदीशन ए.के. भी उपस्थित थे।
मुख्य अतिथि ने कहा कि किसी देश के त्वरित विकास के लिए मातृभाषा का विकास भी ज़रूरी है। उन्होंने कहा कि मातृभाषा को महत्व देकर ही चीन और जापान जैसे दुनिया के कई देशों ने विकसित देश की श्रेणी में आयी है। उन्होंने यह भी कहा कि मातृभाषा के माध्यम अर्जित ज्ञान हमेशा के लिए दिमाग में बना रहता है। उन्होंने उपस्थित वैज्ञानिकों और अन्य प्रतिभागियों से आग्रह किया कि शोध पत्र हिंदी में लिखें, सरल हिंदी में वैज्ञानिक विषयों पर किताबें लिखें, जो आम किसान भी समझ सकें। हिंदी में काम छोटे-छोटे रूप में शुरू करें। अंग्रेज़ी के लिए हम ज़्यादा समय देते हैं, हिंदी के लिए भी कुछ समय देकर देखिए। आजकल कृत्रिम बुद्धिमत्ता का उपयोग करते हुए भी आसानी से हिंदी में काम किया जा सकता है। हिंदी राष्ट्रीय एकता के लिए और लोगों के बीच अपनापन लाने के लिए ज़रूरी है। मन में भ्रम होता है कि हम अंग्रेज़ी ज़्यादा अच्छी तरह जानते हैं, लेकिन वास्तविकता इससे कोसों दूर है। हिंदी में काम करने के लिए प्रशिक्षण और क्षमता-निर्माण पर अधिक ध्यान देना चाहिए। एक भारत, श्रेष्ठ भारत की संकल्पना को साकार करने के लिए हिंदी की भी महत्वपूर्ण भूमिका है।
अपने अध्यक्षीय संबोधन में संस्थान के निदेशक एवं कुलपति डॉ. रविशंकर, सी.एन. ने कहा कि भरत में बहुत-सी भाषाएँ हैं, लेकिन देश की एकता को बनाए रखने में हिंदी की महत्वपूर्ण भूमिका है। इसके अलावा देश की संपर्क भाषा के रूप में भी हिंदी ने अपनी पहचान बनाई है। उन्होंने उपस्थित सभी प्रतिभागियों से आग्रह किया कि हिंदी को दिल से अपनाए। उन्होंने आगे कहा कि राजभाषा के रूप में हिंदी विकास तो हुआ है, लेकिन और भी बहुत अधिक गुंजाइश है। यह संगोष्ठी इसी उद्देश्य से आयोजित की गई है। कुछ क्षेत्र में हुए विकास के संदर्भ में देखा जाए तो भारत किसी भी देश से कम नहीं है। मात्स्यिकी क्षेत्र को लें तो भारत सबसे आगे है। ऐसे ही हिंदी का भी विकास होना चाहिए। मछुआरों तक मात्स्यिकी की नवीन तकनीकियाँ पहुँचनी चाहिए। इसके लिए विभिन्न तकनीकी जानकारी हिंदी और अन्य भारतीय भाषाओं में उपलब्ध होनी चाहिए। भारत को विकसित देश के रूप में देखना है तो इसमें हिंदी की भी महत्वपूर्ण भूमिका है।
कार्यक्रम के प्रारंभ में भा.कृ.अनु.प.-केंद्रीय मात्स्यिकी शिक्षा संस्थान, कोलकाता केंद्र के प्रमुख डॉ. तापस कुमार घोषाल ने प्रतिभागियों का स्वागत किया और संयुक्त निदेशक (राजभाषा) श्री ए.के. जगदीशन ने दो दिवसीय संगोष्ठी की रूपरेखा प्रस्तुत की। केंद्र के वैज्ञानिक डॉ. दिलीप कुमार सिंह ने आभार प्रकट किया तथा मुख्य तकनीकी अधिकारी (राजभाषा) श्री प्रताप कुमार दास ने कार्यक्रम का संचालन किया।
इस अवसर पर निम्नलिखित प्रकाशनों का विमोचन भी किया गया :
उद्घाटन समारोह के बाद राजभाषा का प्रभावी कार्यान्वयन विषय पर आयोजित तकनीकी सत्र-1 के अंतर्गत कोलकाता विश्वविद्यालय के प्रोफेसर राम आह्लाद चौधरी ने “हिंदी का वैश्विक संदर्भ : विकसित भारत के परिप्रेक्ष्य में” विषय पर व्याख्यान दिया; क्षेत्रीय कार्यान्वयन कार्यालय, भारत सरकार, कोलकाता के उप निदेशक डॉ. विचित्रसेन गुप्त ने “राजभाषा प्रबंधन एवं कुशल कार्यान्वयन” विषय पर तथा सी.एस.आई.आर.-केंद्रीय काँच एवं सेरामिक अनुसंधान संस्थान, कोलकाता के हिंदी अधिकारी श्री संजीव कुमार सिंह ने “राजभाषा एवं इसकी संप्रेषणीयता” विषय पर व्याख्यान दिया। व्याख्यानों के बाद सांस्कृतिक कार्यक्रम भी आयोजित किया गया।
दिनांक 22 अप्रैल 2025 को दुसरे और तीसरे सत्र आयोजित किए गए। “राजभाषा और अनुवाद” विषय पर आयोजित दूसरे सत्र के अंतर्गत केंद्रीय अनुवाद ब्यूरो, कोलकाता के पूर्व प्रभारी डॉ. नवीन प्रजापति ने “वैज्ञानिक सामग्रियों का अनुवाद एवं अनुवाद में पारिभाषिक शब्दावली का चयन” विषय पर तथा राष्ट्रीय पुस्तकालय, कोलकाता के अनुवाद अधिकारी श्री विनोद कुमार यादव ने “अनुवाद के विभिन्न साधन और कंठस्थ 2.0” विषय पर व्याख्यान दिया। “राजभाषा और प्रौद्योगिकी” विषय पर आयोजित तीसरे सत्र के अंतर्गत कोलकाता विश्वविद्यालय के प्रोफसर राम प्रवेश रजक ने “प्रौद्योगिकियों का विकास और भाषा का बदलता स्वरूप” विषय पर तथा माइक्रोसॉफ्ट भारत के निदेशक श्री बालेंदु शर्मा दाधीच ने “भाषा प्रौद्योगिकी एवं राजभाषा हिंदी तथा राजभाषा प्रबंधन में कृत्रिम बुद्धिमत्ता” विषय पर व्याख्यान दिया। डॉ. जी.एच. पैलान, डॉ. परिमल सरदार, डॉ. गौरांग बिश्वास, डॉ. तापस कुमार घोषाल, डॉ. सुजाता साहू, डॉ. हंजाबाम मन्दाकिनी देवी और श्री ए.के. जगदीशन ने विभिन्न सत्रों के अध्यक्ष रहे तथा डॉ. सुमन मन्ना, श्रीमती स्वेता प्रधान, डॉ. दिलीप कुमार सिंह, डॉ. लीसा प्रियदर्शनी, श्री प्रताप कुमार दास, श्रीमती रेखा नायर और श्री संजीवन कुमार विभिन्न सत्रों के प्रतिवेदक रहे।
इस दो दिवसीय राष्ट्रीय राजभाषा संगोष्ठी का समापन समारोह दिनांक 22.04.2025 को कोलकाता केंद्र के प्रमुख डॉ. तापस कुमार घोषाल की अध्यक्षता में आयोजित किया गया, जिसमें कृषि प्रौद्योगिकी अनुप्रयोग अनुसंधान संस्थान, कोलकाता के निदेशक डॉ. प्रदीप डे मुख्य अतिथि थे। मुख्य अतिथि ने कहा कि विकसित भारत की संकल्पना में राजभाषा प्रबंधन की भूमिका विषय पर आयोजित यह राष्ट्रीय संगोष्ठी वर्तमान समय में बहुत ही प्रासंगिक है। भारत के आर्थिक एवं सामाजिक विकास के साथ भाषा विकास भी महत्वपूर्ण है। इस संदर्भ में राजभाषा हिंदी के विकास की ओर ज़्यादा ध्यान देने की ज़रूरत है। हिंदी देश के करोड़ों लोगों की मातृभाषा है। अपनी-अपनी मातृभाषा में ही प्रारंभिक पढ़ाई होनी चाहिए। इस दिशा में भारत सरकार द्वारा लाई गई नई शिक्षा नीति एक सफल कदम है। उन्होंने प्रतिभागियों से आग्रह किया कि राजभाषा हिंदी में ज़्यादा-ज़्यादा कार्य करें और विकसित राष्ट्र बनने की दिशा में भारत को आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण योगदान दें।
इससे पूर्व डॉ. दिलीप कुमार सिंह, वैज्ञानिक ने सभी का स्वागत किया और संस्थान के मुख्य तकनीकी अधिकारी श्री प्रताप कुमार दास ने संगोष्ठी की रिपोर्ट सभा के सामने रखी। डॉ. दिलीप कुमार सिंह, वैज्ञानिक ने अतिथियों व प्रतिभागियों का स्वागत किया तथा संयुक्त निदेशक (राजभाषा) श्री ए.के. जगदीशन ने आभार प्रकट किया। श्रीमती रेखा नायर, मुख्य तकनीकी अधिकारी ने आभार प्रकट किया।
इस संस्थान में देश-विदेश से आए छात्र-छात्राओं के लिए मात्स्यिकी विषय से संबंधित उच्च शिक्षा प्रदान की जाती है । इन छात्र-छात्राओं को हिन्दी का ज्ञान बढ़ाने हेतु इस संस्थान के एम.एफ.एसएसी. के प्रथम वर्ष के छात्र-छात्राओं के लिए वर्ष 2003 से नियमित रूप से हिन्दी जलवाणी नामक पाठयक्रम संचालित किया जा रहा है। पाठयक्रम की रचना इस प्रकार से की गई है कि हिन्दी का कार्यसाधक ज्ञान रखनेवाले और नहीं रखनेवाले छात्र-छात्रा अलग-अलग समूहों में इसका अध्ययन कर सकें । इसी क्रम में, सत्र 2022-24 का हिन्दी जलवाणी पाठयक्रम संचालित किया गया, जिसमें कुल 97 छात्रों को नामांकन किया गया ।